फिर अखण्ड होगा भारत- महर्षि अरविन्द
- ललित मोहन शर्मा फिर एक होगा भारत
महान् क्रांतिकारी-योगिराज-महर्षि अरविन्द ने आज से 60 वर्ष पहले 1957 में यह भविष्यवाणी कर दी थी कि ''देर चाहे कितनी भी हो पाकिस्तान का विघटन और भारत में विलय निश्चित है।'' इसकी एक झलक हमें श्री अरविन्द की जन्मशताब्दी वर्ष 1972 में देखने को मिली थी। उस समय 92 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डालकर भारतीयों के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया। उल्लेखनीय है कि महर्षि अरविन्द का जन्म 15 अगस्त 1872 में को हुआ था और हमारा स्वतंत्रता दिवस भी 15 अगस्त ही है। यह मात्र संयोग ही नहीं बल्कि भगवान द्वारा श्री अरविन्द के बताए मार्ग पर चलने की स्वीकृति भी है।
15 अगस्त 1947 को देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के अवसर पर योगिराज ने स्वयं अपने उद्बोधन में कहा कि ''भागवत शक्ति ने- जो कि मेरा पथ-प्रदर्शन करती है- उस कार्य के लिए अपनी अनुमति दे दी है और उस पर मुहर लगा दी है जिसके साथ-साथ मैंने अपना जीवन आरम्भ किया था। देश का विभाजन दूर होना ही चाहिए, वह दूर होगा या तो तनाव के ढीले पड़ जाने से या शांति और समझौते की आवश्यकता को धीरे-धीरे हृदयंगम करने से, या किसी कार्य को मिलजुलकर करने की सतत् आवश्यकता से या उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए साधनों की जरूरतों को महसूस करने से। जिस किसी तरह क्यों न हो, विभाजन दूर होना ही चाहिए और दूर होकर ही रहेगा। उन्होंने यही बात सन् 1950 में अपने प्रिय शिष्य कन्हैया लाल माणिक मुंशी जी से भी कही थी। महर्षि ने कहा कि ''भारत फिर से एक होगा मैं उसे स्पष्ट देख रहा हूं।'' प्रस्तुतकर्ता संजीव कुमार सिन्हा पर 12:10 PM Thursday, 23 August, 2007 लेबल: अखण्ड भारत 3 टिप्पणियाँ:
Shaktistambh said...
यह लेख और उस में व्यक्त विचार व भावनायें बहुत सराहनीय हैं। ऐसी भावनाओं पर हमारे तथाकथित सेक्युलरवादी तथा उदारवादी बड़ी तीखी प्रतिक्रिया करते हैं। मुझे तो उनकी अज्ञानता पर ही तरस आता है। वह यह समझने की भूल करते हैं कि मुस्लिम व अंग्रेज़ आक्रमणकारियों द्वारा भारत पर कब्ज़ा किये जाने से पूर्व भारत एक राष्ट्र था जिसमें आज का पाकिस्तान व बांग्लादेश भी सम्मिल्लित था। देश तो बनते हैं और टूटते हैं पर राष्ट्र कभी टूटता या विभाजित नहीं होता। जर्मनी व वियतनाम (और कोरिया भी) एक राष्ट्र थे पर उनका राजनैतिक व अन्य कारणों से दो देशों में विभाजन हो गया जो अप्राकृतिक था। अन्तत: दोनों देश एक हो गये। सोवियत संघ भी एक देश अवश्य था पर वह एक राष्ट्र कभी न हो सका और अन्तत: अलग-अलग देशों व राष्ट्रों में विभक्त हो गया। भारत देश का विभाजन भी राजनैतिक है, स्वाभाविक नहीं और राष्ट्र तो आज भी एक है। राष्ट्र को कोई विभक्त नहीं कर सकता। भारत के साथ भी वही होगा जो जर्मनी और वियतनाम में हुआ। भारत पुन: एक हो कर रहेगा और श्री अरविन्द की भविष्यवाणी सत्य हो कर रहेगी। 23 August, 2007 7:26 PM Post a Comment Savitri Era of those who adore, Om Sri Aurobindo & The Mother.
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