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पुस्तक पढ़ते हुए लगता है कि लेखक प्राचीन भारत के विराट भग्नावशेषों से अभिभूत हो उठ है तथा राष्ट्र को वह समष्ठि के एक आदर्श धर्म या रिलिजन के रूप में स्थापित कराना चाहते हैं पर ऐसा है नहीं। लेखक की दृष्टि समष्टि की सामाजिक मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक अवधारणा से भी आगे है। ‘प्रकृतिस्थ-पुरूष की खोज तो सच्ची आध्यात्मिक सत्ता के जागरण का केवल पहला पग होता है’। वह व्यक्ति और समिष्ट में बिना भेद एवं पक्षपात किये कम से कम तीन उच्चतर रूपान्तरणों की बात करते हैं। और तब समझ में आता है कि लेखक ने श्री अरविन्द के योग का एक आध्यात्मिक साधक होने के अपने धर्म और दिव्य चेतना के उच्चतरों से प्रेरित होकर ही इस पुस्तक का सृजन किया है।
कुछ लोगों को लेखक द्वारा महर्षि श्री अरविन्द के ‘पूर्ण-योग’ के दर्शन को बार-बार उदधृत करना खटक सकता है। परंतु क्या किया जाए? लाचारी है, अन्य किसी मनीषी ने तो अतिमन, विकसनशील अध्यात्मिकता, और चैत्य पुरूष की अवधारणा प्रस्तुत करते हुए वर्तमान यथार्थ की निम्नतर चेतना-स्तर की कंक्रीट की नींव ( तारकोल, खेत, खलिहानों के जगत और हाड़-मांस के मनुष्यद्) और ‘सर्वोच्च अध्यात्मिक चेतना स्तर’ के बीच ‘लिंक’ (सेतु) बनाने और जड़ भौतिक में तदनुसार उस आध्याम्तिक चेतना की अभिव्यक्ति का प्रयास और उसकी सफलता का आश्वासन भी तो नहीं दिया। मेरी समझ में पुस्तक की समस्त गरिमा ‘अनिर्वचनीय’ को ‘वर्चनीय’ ‘अमूर्त’ को ‘मूर्त’ करने का उपाय बताने में निहित है।
अन्त में, मैं यह स्वीकार करना चाहूँगा कि मैं अपने को पुस्तक के विषय-वस्तु पर कुछ कहने का अधिकारी विद्वान नहीं समझता परंतु, लेखक के आग्रह पर अपने दो शब्द कहने से मैं अपने को रोक भी नहीं पा रहा हूँ। अस्तु, भारी मन से मैं यह धृष्टता कर रहा हूँ। इस प्रकार की धृष्टताओं के औचित्य के संबध में विश्वविद्यालय-शिक्षा से वंचित मनीषी, महापंडित राहुल सांकृत्यान के शब्दों को उद्धरित करता हूँ-“ऐसी धृष्टता के लिए मैं मजबूर था। जब तक अधिकारी व्यक्ति हिन्दी तथा केवल हिन्दी-दाँ जनता को अपनी कृपा का पात्र नहीं समझते तब तक मेरे जैसे अनधिकारियों को धृष्टता करनी ही होगी।“ (“विश्व की रूपरेखा”, प्र॰सं॰-1944 ‘प्रक्कथन’ से)। सतीशचन्द्र श्रीवास्तव ‘सफरचंद’ 668/8 रामेश्वरपुरी, बस्ती (उ॰प्र॰)
भारत दर्शन ......Bharat Darshan: 'फ्रांसीसी ... - 17 Jan 2010 - यहाँ महर्षि अरविन्द के नाम से 'ओरोविला'एक अन्तर्राष्ट्रीय नगर बसाया गया है. महर्षि अरविन्द आश्रम अन्तर्राष्ट्रीय योग शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र के रूप में भी विख्यात है. ...
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Kedar Nath Prabhakar : An Institution in himself - 21 Aug 2009 - ... विचारक तथा लेखक प्रभाकर जी का अपना एक अत्यन्त समृद्ध पुस्तकालय है जिसमें आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कर (प्रथम एवं द्वितीय), स्वामी रामतीर्थ, महर्षि अरविन्द, ... www.thesaharanpur.com/personalities/kedarnath.html - Kavi Aur Kavita - A Hindi Book by - Ramdhari singh Dinkar - कवि ... - 25 Apr 2009 - ... कबीर साहब से भेंट, गुप्तजी : कवि के रूप में, महादेवीजी की वेदना, कविवर मधुर, रवीन्द्र-जयन्ती के दिन, कला के अर्धनारीश्वर, महर्षि अरविन्द की साहित्य-साधना, रजत और आलोक की कविता, ... pustak.org:4300/bs/home.php?bookid=6835 - Know India - 25 Feb 2010 - महर्षि अरविन्द : शाखा स्तरीय भारत को जानो प्रतियोगिता कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्गों में क्रमश: 3 और 5 दिसम्बर, 2009 को आयोजित किया गया। प्रतियोगिता में दस विद्यालय के लगभग 800 बच्चों ने ... www.bvpindia.com/bkj_hindi_news.htm - जनमानस Janmaanas • View topic - एशिया का सबसे ... - 4 Oct 2009 महर्षि अरविन्द के शिष्य अनादि जी ने भी नैनपुर में साधना की। योगी अनादि प्रख्यात विद्वान एवं सर्जनात्मक क्षमता के धनी कलाकार थे। रेलवे तालाब के किनारे योगी अनादि आश्रम में आज ... forum.janmaanas.com/viewtopic.php?f=77&t=175 - उदयपुर समाचार :: प्रेसनोट डाट इन ... - 10 Apr 2009 - डॉ. मनोहर सिंह दुलावत, विभागाध्यक्ष, गणित एवं सांख्यिकी विभाग के मार्गदर्शन में संजय ने यह शोध कार्य पूर्ण किया। सिद्धा-हिलिंग प्रोसेस शिविर उदयपुर, महर्षि अरविन्द आश्रम ... www.pressnote.in/view_news.php?s=2808&np=434&cat... - राधा - 21 Jun 2009 - महर्षि अरविन्द ने सावित्री तत्व पर अच्छा शोध किया है। अंधकार में भी कुछ प्रकाश अवश्य रहता है। यह परावर्तित प्रकाश होता है। प्रकाश और अंधकार को भी अलग नहीं कर सकते। ... www.rajasthanpatrika.com/detail/?nid=519 - News Detail - 28 Feb 2010 - समर्थरामदास, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, महर्षि अरविन्द जैसे दूरदर्शी अनेक इस साधना व्यवसाय की महत्ता समझते, उसे प्रमुखता देते और समुचित लाभ उठाते रहे हैं। ... rashtriyasahara.com/NewsDetails.aspx?lNewsID=129511...42 - वेदों का अध्ययन् मरुत विषय् | Aryasamaj - 1 Mar 2010 - महर्षि अरविन्द ने वेदों को समझने बारे में कहा है, कि आरम्भ में वेद मंत्र के देवता ऋषि के सन्दर्भ को ध्यान मे रखते हुए , सब से पहले सब से सरल शब्दार्थ का चिंतन करें .... www.aryasamaj.org/newsite/node/1011 - Deshbandhu : news,rajsthan,jaypur, जयपुर, राजस्थान ... - 26 Oct 2009 - ये आशय पत्र जयपुर में यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड मैनेजमेंट, जे.ई.सी.आर.सी. यूनिवर्सिटी एवं महर्षि अरविन्द यूनिवर्सिटी को स्थापित करने के सम्बन्ध में जारी किए गए हैं। ... www.deshbandhu.co.in/newsdetail/19477/2/0 - कुछ कहने की इच्छा, कुछ सुनने का मन - 26 Mar 2009 - पिछली शताब्दी ने विवेकानन्द, महर्षि अरविन्द, श्री नारायण गुरु, गांधी, दयानन्द सरस्वती, अंबेडकर आदि के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण किया और सनातन धर्म को ... www.prabhakaronline.com/ - सद़विचार : चिट्ठाजगत : धड़ाधड़ छप रहे ... - 11 Dec 2009 - 1-10-2009 को सद़विचार... पर sada. यदि आप चाहते हैं कि लोग आपके साथ सच्चा व्यवहार करें तो आप खुद सच्चे बनें और अन्य लोगों से भी सच्चा व्यवहार करें । - महर्षि अरविन्द ... 95 म्बंधित लेख ... www.chitthajagat.in/?shabd=सद़विचार वीआइपी वाक : VIP VAK: May 2009