राजनीति के हाथ में सांप्रदायिकता की तलवार
BY Dr. MANDHATA SINGH, KOLKATA
प्रख्यात स्वाधीनता प्रेमी और आधायात्मिक विभूति महर्षि अरविंद ने भारत को आजादी मिलने के वक्त ही सांप्रदायिकता और अखंडता के उन खतरों से देश को आगाह किया था, जिसकी चुनौती आज भी भारत झेल रहा है। यह इत्तेफाक ही है कि आजादी मिलने से ७५ साल पहले १५ अगस्त को ही महर्षि अरविंद पैदा हुए थे। प्रथम स्वाधीनता दिवस के मौके पर एक संदेश में उन्होंने कहा था-- हिंदू-मुसलमानों के बीच प्राचीन सांप्रदायिक वर्गीकरण अब देश के स्थायी राजनीतिक विभाजन के रूप में सुदृढ़ होता प्रतीत हो रहा है।..........यदि यह स्थिति जारी रहती है तो भारत गंभीर रूप से विकलांग और कमजोर हो जाएगा। हमेशा जनता में फूट, एक और आक्रमण या विदेशियों के विजय की भी आशंका बनी रहेगी।
महर्षि अरविंद के ये वक्तव्य आज भी प्रासंगिक हैं। आजादी मिलने के ६० साल बाद भी भारत इन्हीं आशंकाओं के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है।लेकिन सिर्फ हिंदू-मुस्लिम ही नहीं बल्कि जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाषाई सांप्रदायिकता के स्थायी संकट में फंसा हुआ है। दुखद यह है कि सत्ता की राजनीति के यही सांप्रदायिक तत्व प्रमुख हथियार बने हुए हैं। राजनीति के हाथ में सांप्रदायिकता की यह तलवार देश की एकता और अस्मिता को विध्वंश करने पर तुली है। इसके साए में अब हर किसी की पहचान ही सांप्रदायिक हो गई है। ... read more »
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