Tuesday, June 26, 2007

मनुष्य के जीवन में सुचिता और पवित्रता

कथा व्यास अक्षयानंद महाराज ने यज्ञ की महत्ता को बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में यज्ञ की बहुत महत्ता है। यज्ञ त्यागवृत्ति को प्रोत्साहित करता है और परोपकार की भावना को जगाता है। श्री नारायण भक्ति ज्ञान सत्संग मंडल के तत्वाधान में इंदिरापुरम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को समापन हो गया। कथा के समापन पर सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा व्यास ने कहा कि यज्ञ करने से मनुष्य के जीवन में सुचिता और पवित्रता आती है। इसी तथ्य को समझकर ही ऋषि मुनियों ने प्राचीन काल से यज्ञ संस्कृति को प्रवर्तित और संवर्धित किया। कथा व्यास ने कहा कि यज्ञ हमारी भारतीय संस्कृति, धर्म एवं कर्मकांड का अभिन्न अंग है। कथा समापन के अवसर पर भंडारे का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर दिवाकर मिश्रा, अनिल तिवारी, हेमंत वाजपेयी, सुनीता नागपाल, अनीता भारद्वाज, विश्वनाथ त्रिपाठी, बी.आर.यादव, अजय गुप्ता आदि उपस्थित थे। Posted by Azhar Pasha at 10:31 PM 0 comments

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