Sunday, February 01, 2009

श्रीअरविंद ने देश को भवानी-भारती के रूप में स्थापित किया

विवेकानंद ने स्वदेश मंत्र दिया और कहा कि जिन्हें तुम नीच, चांडाल, अब्राह्मण कहते हुए दुत्कारते हो , वे सब तुम्हारे रक्त बंधु, तुम्हारे भाई हैं , जब उन्होंने बचपन, यौवन और वार्धक्य के अध्यात्म को भारत के रंग में रंगा, जब अरविंद ने देश को भवानी-भारती के रूप में स्थापित किया तो वे सब अपने समय की धारा को बदल रहे थे, सड़ चुकी परंपराओं के विरूद्ध चट्टान बने थे। बुझ चुके चिरागों के थके हुए दीपदान हमारा पथ आलोकित नहीं कर सकते। हिसाब मांगने का वक्त अब है। Tarun Vijay - http://tarun-vijay.blogspot.com/ Posted by Tarun Vijay at 3:48 AM 1 comments