Tuesday, May 25, 2010

गनपत सहाय कालेज में श्रीअरविंद अध्ययन केन्द्र का शुभारंभ

Jagran - Yahoo! India - News May 24, 12:56 am 
चेतनतत्व में होती है रचनाधर्मिता
सुल्तानपुर, 23 मई : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त दर्शन शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो.डीएन द्विवेदी ने कहा कि चेतना आदि और अंत दोनों में है। रचनाधर्मिता चेतनतत्व में है, जड़ तत्व में नहीं। वे रविवार को गनपत सहाय परास्नातक महाविद्यालय परिसर में यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त श्री अरविंद अध्ययन केन्द्र के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
आज गनपत सहाय कालेज में श्रीअरविंद अध्ययन केन्द्र का विधिवत शुभारंभ हो गया। प्राचार्य डा.पीबी सिंह के संयोजन में समारोह की अध्यक्षता कर रहे गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो.प्रताप सिंह मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो.डीएन द्विवेदी ने श्री मां श्री अरविंद के चित्र पर माल्यार्पण दीप जलाकर समारोह की शुरूआत की। प्रो.डीएन द्विवेदी ने कहा कि दैवीय सत्ता की अभिव्यक्ति जड़ और चेतन सभी पदार्थो में समान रूप से हो रही है। चेतना आदि और अंत दोनों में है। बिना दिव्य चेतना के जड़ परमाणु जगत की रचना करने में समर्थ नहीं। रचनाधर्मिता चेतन तत्व में है। जड़ तत्व में नहीं। श्री अरविंद के इस विचार को वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं। चेतना की मानसिक यात्रा चलती है और अतिमानकीय धरातल पर पहुंचकर प्रभु का दीदार कराती है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.प्रताप सिंह ने गीता दर्शन को संदर्भित करते हुए कहा कि हम िरंतर जीवन यात्रा पर हैं। भ्रमण करते-करते सत्य से भटक जाते हैं। श्री अरविंद ने एक जगह कहा है कि जो कुछ मेरा है वह सब परमात्मा का है। केन्द्र के निदेशक डा.दुर्गादत्त पाण्डेय ने कहा कि दिव्य यात्रा परिपूर्ण बनने की यात्रा है। जिसका लक्ष्य है भीतर के देवत्व जगाना। श्री अरविंद सोसायटी के यूपी उत्तराखण्ड अध्यक्ष डा.जेपी सिंह ने श्री अरविंद के समग्र योग की प्रासंगिकता पर विचार प्रकट किया। डा.डीपी सिंह ने कार्यक्रम संचालन किया। महाविद्यालय अध्यक्ष यदुनाथ प्रसाद श्रीवास्तव, डा.अरविंद चतुर्वेदी आदि विशिष्टजन मौजूद रहे।

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