Wednesday, December 31, 2008

In Delhi/NCR, the Trans-Yamuna zone of Indirapuram is where the action is

2009

Back to basics: realty ads take a U-turn Hindustan Times, India - 26 Dec 2008 In Delhi/NCR, the Trans-Yamuna zone of Indirapuram is where somewhat cheaper flats are on offer. Supertech has radio ads for two-bedroom apartments for Rs 21.25 lakhs at Crossings Republik in Indirapuram, while Gaursons is peddling one for Rs 24.45 ...

Amrapali in top gear Economic Times, India - 13 Dec 2008 Customers are treated to a site of a scale model of the second phase of the Amrapali Village complex where they witness the proximity to the national highway going to Hapur from Indirapuram. They also get a chance to look at the large green belt ...

Indirapuram School of Music & Dance Musicology.co.in Indirapuram.com Foodiebay.com Restaurant directory in NCR Maya Estate Kartavyabodh

Tuesday, December 23, 2008

सभी स्थानो के निवासियों के लिए स्थानिय भाषा में जानकारियां जुटाने का प्रयास

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Monday, December 22, 2008

यह इत्तेफाक ही है कि आजादी मिलने से ७५ साल पहले १५ अगस्त को ही महर्षि अरविंद पैदा हुए थे

राजनीति के हाथ में सांप्रदायिकता की तलवार
BY Dr. MANDHATA SINGH, KOLKATA

प्रख्यात स्वाधीनता प्रेमी और आधायात्मिक विभूति महर्षि अरविंद ने भारत को आजादी मिलने के वक्त ही सांप्रदायिकता और अखंडता के उन खतरों से देश को आगाह किया था, जिसकी चुनौती आज भी भारत झेल रहा है। यह इत्तेफाक ही है कि आजादी मिलने से ७५ साल पहले १५ अगस्त को ही महर्षि अरविंद पैदा हुए थे। प्रथम स्वाधीनता दिवस के मौके पर एक संदेश में उन्होंने कहा था-- हिंदू-मुसलमानों के बीच प्राचीन सांप्रदायिक वर्गीकरण अब देश के स्थायी राजनीतिक विभाजन के रूप में सुदृढ़ होता प्रतीत हो रहा है।..........यदि यह स्थिति जारी रहती है तो भारत गंभीर रूप से विकलांग और कमजोर हो जाएगा। हमेशा जनता में फूट, एक और आक्रमण या विदेशियों के विजय की भी आशंका बनी रहेगी।

महर्षि अरविंद के ये वक्तव्य आज भी प्रासंगिक हैं। आजादी मिलने के ६० साल बाद भी भारत इन्हीं आशंकाओं के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है।लेकिन सिर्फ हिंदू-मुस्लिम ही नहीं बल्कि जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाषाई सांप्रदायिकता के स्थायी संकट में फंसा हुआ है। दुखद यह है कि सत्ता की राजनीति के यही सांप्रदायिक तत्व प्रमुख हथियार बने हुए हैं। राजनीति के हाथ में सांप्रदायिकता की यह तलवार देश की एकता और अस्मिता को विध्वंश करने पर तुली है। इसके साए में अब हर किसी की पहचान ही सांप्रदायिक हो गई है। ... read more »

एक था बाहरी ताकतों से खतरा और दूसरा सांप्रदायिकता की चुनौती

महर्षि अरविंद ने किया था खतरे से आगाह
जागरण Dec 04, 02:37 pm नई दिल्ली।

आजादी के आंदोलन में एक समय अपने उग्र विचारों के कारण बेहद लोकप्रिय नेता और बाद में आध्यात्म के क्षेत्र में जाने वाले महर्षि अरविंद ने देश की आजादी के समय ही आगाह कर दिया था कि भारत की एकता को बाहरी ताकतों से खतरा है।

विशेषज्ञों के अनुसार अरविंद ने भले ही आध्यात्म के क्षेत्र में आने के बाद सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था, लेकिन उस दौरान भी उनका मन भारत और उसकी आजादी की सलामती के बारे में ही लगा रहता था। सक्रिय राजनीति से हटने के बाद उनके द्वारा लिखे गए साहित्य में भारत के सामने आने वाली तमाम चुनौतियों का जिक्र किया गया है।

दिल्ली के अरविंद आश्रम से संबद्ध और कर्मधारा पत्रिका के सह संपादक त्रियुगी नारायण ने बताया कि आज भारत को बाहरी ताकतों के कारण जिन खतरों का सामना करना पड़ रहा है अरविंद ने उसके बारे में बहुत पहले ही आगाह कर दिया था, लेकिन देश के कर्णधारों ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिलने के अवसर पर तिरुचिरापल्ली रेडियो स्टेशन के जरिए दिए गए अपने संदेश में भारत को दो-दो चीजों के प्रति आगाह किया था। इनमें से एक था बाहरी ताकतों से खतरा और दूसरा सांप्रदायिकता की चुनौती। आज यही दोनों समस्याएं भारत के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। बाद में बड़ौदा की राजकीय नौकरी छोड़कर अरविंद का सक्रिय रूप से राजनीति में आगमन हुआ।

साहित्य कार्य जारी रहने के साथ- साथ उन्होंने गुप्त क्रांतिकारियों के संगठनों से भी नाता बनाए रखा। 1907 में कांग्रेस सूरत अधिवेशन में उग्रपंथियों और नरमपंथियों का विभाजन हुआ। उग्रवादियों द्वारा अरविन्द की अध्यक्षता में अलग आंदोलन किया गया। अरविन्द को 1908 में अलीपुर के चर्चित षड्यंत्र में गिरफ्तार किया गया। जेल में उन्हें दीर्घ अवधि तक आध्यात्मिक अनुभव हुए। 1909 में जेल से रिहाई के एक वर्ष बाद सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर अरविंद पांडिचेरी चले गए। पांडिचेरी प्रवास में अरविंद ने आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ साहित्य सृजन का काम जारी रखा।

इसी दौरान उन्होंने अति मानस सिद्धांत दिया, जो आधुनिक भारतीय दर्शन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत माना जाता है। पंद्रह अगस्त 1947 को उनके 75वें जन्म दिवस पर देश को आजादी मिली। अरविंद का देहावसान पांच दिसंबर 1950 को हुआ। अरविंद का अंग्रेजी में लिखा महाकाव्य सावित्री एक महत्वपूर्ण रचना है। द लाइफ डिवाइन, लाइट्स आन योग, बैसेज आन योग, एसेज आन गीता उनके दार्शनिक विषयों पर लिखे गए अन्य चर्चित ग्रंथ हैं।

Friday, December 05, 2008

Annual Conference of Sri Aurobindo Society (Hindi Zone) in Noida on 6 & 7 December 2008

Upcoming Event: Annual Conference (Hindi Zone) 2008:

Annual Conference of Sri Aurobindo Society (Hindi Zone) is being organised in Noida on 6 & 7 December 2008. Apart from the organisational meeting of the delegates, three sessions on 'Indian Culture' will be held. For more details, please contact Dr. S.C. Tyagi, Ramjiwan Nagar, Chilkana Road, Saharanpur-247 001 (Ph : 0132-2653877) or Shri Suresh Gupta, Sri Aurobindo Bhawan, C56/36, Sector-62, Noida-201 301 (Ph : 0120-3263313). All are cordially invited. [3:44 PM]